वक़्त के पहर भी इतने बीमार हैं,
इलाज़ तो हैं कई मगर सब बेकार हैं
बन गया जीवन भी ये शिकार है,
घायल तो हम पहले से थे
और सब मारने को तैयार हैं
पड़ी चाहतों में भी ऐसी दरार है,
दिलासे देते हैं इतने कि,
बताने वालों के भी किस्से हज़ार हैं।
वक़्त के पहर भी इतने बीमार हैं,
इलाज़ तो हैं कई मगर सब बेकार हैं।
-pragya kashyap
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