सफरनामा
रुकसत ना मिले कभी राह मे,
चलना ही तो रुदबा हैं राह का।
मंजिल ना दिखा कभी सफर मे,
कशमकष ही तो चैन हैं सफर का।
हर कशीष को रेहने दे अधुरा,
मिलन तो अंत हैं चाहत का।
बेहने दे हर पल सुकून की चाह मे,
ठेहराव तो बस तीनका सा हैं सुकून का।
मत दिखा आईना किसीं को,
चेहरा तो जाल हैं भ्रम का ।
रेहने दे प्यासे ये नयन,
तेरा रूप तो आखरी पडाव हैं सफर का
जवाब ना दे ए जिंदगी,
तेरे सवाल ही तो मकसद हैं जिने का ।
रहने दे हर बात अधुरी..
हर प्यास अधुरी..
हर आस अधुरी..
रहने दे जिंदगी अधुरी..
पुरी तो बस मौत हैं,
जिने दे .. जिने दे .. जी भर के जिने दे.. रख अधुरा.. बस्स जिने दे ..!!
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