तुमसे ही है रीत गिरिधर
तुमसे ही है प्रीत ,
नेह तुमसे ऐसी लागी ,
सूझे ना कोई मीत ,
तुम वृंदावन के ग्वाले ,
मै दीवानी गोपी प्रीय !!
तुम नटखट मनभावक कान्हा ,
मैं बरसाने की राधा सी,
तुम द्वापर युग के द्वारकाधीश ,
मैं मीरा सी कृषणम्यी प्रीय ,
मुझको देना ऐसे दर्शन कान्हा ,
श्याम रंग में रंगते जाना !!!
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