मैनें अपने 4 बाय 4 के कमरे में
एक कचहरी बनाई है, किताबों की कचहरी,
जब थक के घर लौट आती हूँ,
तो किताबें अपनी ओर बुलाती हैं,
बस कुछ किताबें हैं, और तुम्हारी यादें हैं
जिनको सहेज के इस कमरे में लिए रहती हूँ।
वो हर पन्ने पे लिखी कहानियाँ, मुझसे कुछ कह जाती हैं,
और तुम्हारी खामोश यादें, मेरे दिल को बहला जाती हैं।
ना कोई शोर, ना कोई गिला,
सिर्फ जज़्बात हैं और लम्हों का सिला,
हर किताब में एक नया राज़ छुपा है,
और तुम्हारी यादों का हर एक लफ़्ज़ उसमें घुला है।
यह कमरा छोटा ज़रूर है, मगर इसमें एक महफ़िल बसाई है,
जहाँ तुम हो, मैं हूँ,
और कुछ बेजान लफ़्ज़ों ने तुम्हारी तस्वीर बनाई है।-
Out of all the Ignored things in this world
Efforts towards others are always on top..-
Zamane se ladke us manzil se lagav kar baithe jo hamara pehle tha nahi huzoor...
Magar vo kehte h na, yeh waqt ka jaljala ik din har ghav ko marham me tabdeel kar hi deta h.-
इस चाँद की चाँदनी से और क्या जानना चाहते हो,
गर राज़ की बात है तो दिल में क्यों उतरना चाहते हो,
मैं खुद एक दास्तान हूँ, ख़ामोशी में लिखी हुई,
हर लफ़्ज़ पढ़ के भी, तुम मुझे क्यों समझना चाहते हो।
हर लम्हा रौशन है तेरी यादों के उजाले से,
फिर क्यों अंधेरों में मुझे ढूंढना चाहते हो !!-
ये यादें, ये वादें, ये लम्हें, ये बातें,
कुछ पन्ने, कुछ दाग़, कुछ सपने, कुछ आग,
ये शोला, ये राख, ये आँसू, ये ख़ाक,
ये ख़ुशबू, ये चाह, ये दिल की तलाश,
ये पलकों पे भार, ये साँसें बेज़ार,
ये बिछड़े हुए पल, ये चुप सी हलचल,
ना पूरा हुआ प्यार, ना मिटा इंतज़ार।-
यूँ नूर भरी नज़रों से,
एक आख़िरी बार तुम्हें देख लूं क्या,
जो रुका था दिल में मुद्दत से,
वो जज़्बात आज कह दूँ क्या,
बिछड़ के भी तुम पास हो मेरे,
इस जज़्बात को मैं लिख दूँ क्या?
तेरे बाद भी जो ज़िंदा हूँ मैं,
इस जीने का सबब पूछ लूं क्या?
हर पल तुझमें ही जीती हूँ,
ख़ुद से ये सिलसिले तोड़ दूँ क्या?
तुम चले गए लेकर साँसें मेरी,
बिना साँस के अब मैं जी लूं क्या?-
Shikayat-e-jazeera ko ab hm posheeda hi rakhte h huzoor...
Aakhir har zer-e-aab masla ko malaal ka naam dena sahi to nahi..!-
How I miss you every second
How I urge to see
you every second
But oh this long
distance between us
Wish I could hug you for a day
Drenched in your smell
I believe one day this
longing will go
I will have you in
my arms tightly wrapped
Kissing your face and
I will be blushing
My face turning
peach blossom-
मौत के हक़दार हैं लोग,
हक़दार हैं,
कुछ फ़ुट ज़मीन की,
कुछ किलो लकड़ियों की,
आग की, रिवायत की,
और कुछ सिर्फ़ एक राग की।
किसी को कफ़न नसीब नहीं,
किसी की रूह भी फ़िराक़ की।
किसी की मौत भी ख़ामोश थी,
ना चीख़ थी, ना मिसाल थी।
जो ज़िंदा रहे, वो भी क्या रहे,
ज़िंदगी सिर्फ़ एक सवाल थी।-
एक कमरे में ख़ुद को बंद किए,
आखिर क्या करती होगी वो...
वो पन्नों के बीच खोई हुई इंसान,
कुछ किताबें, कुछ ख़याल, कुछ अनकहे जज़्बात,
कुछ बातें, कुछ मलाल, और कुछ कोरे काग़ज़ात,
कुछ यादें, कुछ सवाल का करती है हिसाब-किताब,
ना कोई दस्तक, ना कोई आहट, सिर्फ़ ख़ुद से रोज़ की मुलाक़ात,
मुस्कुराहट के साए में करती है ख़्वाबों की बात।
हर दिन लिखती है नई उम्मीदों की सौगात !!-