एक नज़राना पेश किया भी तो मामूली सा,
एक बार हमसे पूछ तो लिया होता
हमने नहीं चाही कभी कोई दिल्लगी
ना चाहा कोई उपहार या तोहफ़ा
बस प्यार की माँग करना अगर तुम्हे गलत लगता है
तो हाँ हम गलतियाँ करना पसंद करते हैं
चाहते नहीं तुमसे दूर हो जाएँ,
इसलिए ही शायद कुछ बातें दोहराते हैं
चलो आज तुमने कुछ दिया तो सही
वरना हमें आजतक तुमसे,
अज्ञानता ही मिली थी।
हमने अब कोई आशा रखनी छोड़ दी है तुमसे
हिम्मत है तो कोशिश करके कोशिश करो,
और हमारा भरोसा, तुम पर उम्मीद लौटा कर बताओ।
- सौRभ
-