आज कुछ करना है
आज हम बेठे हैं बेकार,
घर पर कर रहें है विचार।
आज कुछ कर पाएँगे,
या घर बेठे रह जाएँगे।
करने के लिए दुनिया है बड़ा,
मन में एक सवाल है खड़ा।
कोन सा काम करें हम,
किसमे लगाएँ अपना दम।
पैरो के कदमों को बढ़ाएँ,
या पीठ मे पंख लगाएँ।
आज खाली नहीं बेठना है,
कुछ बड़ा करके ही मरना है।
एक लंबी उड़ान भरना है,
और आसमान को छूना है।
आज चुप नहीं बेठना है,
आज कुछ तो करना है।।
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