Ghanshyam Upadhyay 28 FEB 2017 AT 11:59 चलो निकलो गुफाओं से, तिमिर, एकांत को छोड़ोनिशा की कैद में सूरज, बढ़ो और बेड़ियाँ तोड़ोसमय ने कर दिया गारत, खड़ा इस मोड़ पर भारतचलो बदलो दिशाओं को, शत्रु के मान को मोड़ो©घनश्याम -