तुम बिन ;
जीने की सोची पर जी ना पाए।
तुम बिन ;
ख़ुशियाँ बटोरनी चाही,
पर हर ख़ुशी में तुम ही नज़र आए।
तुम बिन ;
मंजिलो की राहें चुनी पर चल ना पाए।
तुम बिन ;
एहसासों को सँजोना चाहा पर सँजो ना पाए।
इस से ज्यादा क्या कहूँ ;
गागर में सागर भरना चाहा पर भर ना पाए,
तुम तो हो मेरी रूह तक समाये,
जिसे चाह कर भी खुदा जुदा ना कर पाए,
क्योंकि तुम हो anie की हस्ती के सरमाए।
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