हा डर लगता है बेवक्त रातो में गैरो की नज़रो से जो हवस से भरी है मुझे मुझ पर पड़ी उस नज़र से डर लगता है हा डर लगता है कपड़े छोटे थे रात में बाहर थी लड़के के साथ थी मुझ पर जो बीती उसे भूल मुझे ही कसूरवार करार किए जाने से डर लगता है हा डर लगता है नाज़ो से पाला है मैने जिसे खून से सीचा हैं नौ महिने कोख में जिसे उस मासूम को खून से लथपथ बस सोचने भर से डर लगता है हा डर लगता है ....