हाँ ,,, मैं ऐसी ही हूं ,,,,,,,!
थोड़ी अल्हड़ सी ,,,, ,, थोड़ी पगली सी
जो कभी गुस्सा करती हूं ,,,,, कभी प्यार बेसूमार करती हूं
कभी बोहोत ज्यादा परवाह करती हूं ,,,,, तो कभी लापरवाह सी हो जाती हूं
हर पल उन्ही के ख्यालो में खोयी सी रहती हूं ,,,,,, फिर भी भुल जाने की बात करती हूं
क्या करूं मैं,,,,,
इस कदर हुआ असर उल्फत के तेरे,,,,,, कि मुझे कहीं का नहीं छोड़े ,,
कही भी खुश नहीं रह सकती मैं,,,,,
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