वो ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं,
जिसमे न कोई उम्मीद हो,
चाहे ज़िद्द हो ज़िंदगी से बड़ी या,
आसमां के सैकड़ों तारे हों,
वो हौसलें हारेंगे कैसे,
जो खुद से कभी न हारे हों,
है लगन अगर जो सच्ची दिल में,
तो मंज़िल पा कर हीं दम लेंगे,
किस्मत से ज़्यादा चाह नहीं पर,
उम्मीद से भी न कम लेंगे,
भला वैसे भी कोई जीना है,
जिसमे न कोई ज़िद्द हो,
वो ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं,
जिसमे न कोई उम्मीद हो
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