एक वक्त ऐशा था कि जब तुम मेरे पास नहीं होते थे तो फिर्भी मेरी निगाहें सिर्फ तुम्हे ही ढूंढती थी लेकिन
आज तुम मेरे सामने हो या ना हो कुछ फर्क नहीं पड़ता ।
ऐशा नहीं की मेरा दिल किसी और के लिए धड़कने लगा है बल्कि तुम्हारे लिए धड़क ना बंद कर्दिया है।
तुम्हारा हाथ छोड़ा ज़रूर है लेकिन मैंने किसी और का हाथ थामा तो नहीं ना?
तुमसे मिलने के लिए जो तड़प थीं अब बो मेरे दिल में नहीं रही लेकिन यह दिल किसी और से मिलने के लिए भी नहीं तड़प रहा है।
पहले ऐशा होता था कि रात भर तुमसे ही बाते करू लेकिन अब मुझे बातें करने से अच्छा नहीं लगता।
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