साधना की डगर पर अंधेरा न हो,
हर शलभ का यहाँ किन्तु फेरा न हो,
मैं जलूँ ज्योति बन प्रेम के पथ पर,
तुम अगर दीप बन जगमगाते रहो,
बस इसी विधि कटें, ज़िन्दगी के दिवस,
तुम यही ज़िन्दगी भर मनाते रहो,
मैं तुम्हारे लिए गीत लिखती रहूँ,
तुम उन्हें निज हृदय से लगाते रहो।
-