वो जो इश्क़ है जिस्मफरोशी सा, मुझे उसकी लत लगी है।
कमरे में जो लिबास बिखरा है, मुझे उसकी लत लगी है।
अभी तो रात भी बाकी है और सिलवटें भी वैसी कोरी है,
सौदे में जो एहसास निखरा है, मुझे उसकी लत लगी है।
बाज़ारू सा ही सही, चंद नोटों में लिपटी रहती है करवटें,
ठहर के जो गुज़र जाए, ऐसी रात के साथ की लत लगी है।
रौशनी में नक़ाब क्या लगाना, अँधेरा कमरा ही काफी है,
ख़रीदे फ़रेबी चीखों में मुझे, तेरी थकन की लत लगी है।
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