मोहब्बत का दीदार जैसे चारों धाम सी हो गयी निकलने दो मेरे चाँद को देखो शाम भी हो गयी शाम है दिल की बातें ऐसी हो कि दास्तान लिखूँ ये कहानी अमर हो जैसे सिया-राम की हो गयी
ख़ामोश रातों का कोई पहरेदार हो तो रातें जाया न जाती वो नींदें चुराकर पूछते हैं हमसे तुम्हें नींद क्यों नहीं आती कोई मर्ज नहीं है ये इश्क़ है, कोई दवा भी तो नहीं इसकी कितनी मोहब्बत है काश ये बातें लफ़्ज़ों से बयां हो जाती
Fever तो हमें भी चढ़ा था और तुम मेरे Paracetamol भी बने थे क्या है ना कि अब दर्द सीने में है पुरानी यादों से Painkiller तो ले लिया मैंने मगर तेरे Voice की Antibiotic नहीं है ना मेरे पास