QUOTES ON #PENCIL

#pencil quotes

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31 MAR AT 21:07

कंबख्त वो सबका होने चले है
मुझे डर है अकेले ना हो जाए

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28 MAR AT 13:17


तुम्हे देखा तो आसमां के सितारे नजर आ गए
छुपे थे जो सारे नजारें वो नजारें नजर आ गए
हम तो उलझ चुके है अब जुल्फों में आपकी
आपने होठों ने चूमा हम शराबी नजर आ गए

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26 MAR AT 23:24

Mujhse glass gir jaaye
To meri galti h
Mai dekh k nhi chlta

Mammi se glass gir jaaye
Too bhi meri galti h
Maine glass vaha rakha kyu

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18 MAR AT 19:32

संवेदनाओं के शिखर पर
कुंठा की ज्वाला जलता है
अरमानों को चिता बनाकर
ख्याल सीने में दहकता है

आंशुओ का दामन पकड़े
दर्द हृदय में बहता है
संकोचन की विवशता लेकर
शख्स मुखौटा पहने रहता है

व्यथा को माला बनाकर
अस्तित्व किंचित कर जाता है
दूसरों जैसा बनने में मनुष्य
कही का ना रह पाता है।

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21 FEB AT 19:00

सूरज के आने से ना
चिड़ियों के चहचहाने से
घड़ी में सात बज जाने से
ना दिन चढ़ जाने से
मेरा दिन शुरू होता है
मां के पंखा बंद कर खिड़की
खोल 8 बजते घड़ी को 10
बज गया बताने से............

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3 FEB AT 12:14

ना तोड़ो दीवारें
बिखर जाएगी दुनिया
खुल गयी ज़ुबाँ
सहम जाएगी रनियां
जैसे चलता है तुम चलने दो यारों ...2
ज़ख्म गहरा है अब नमक ना डालो 2

...... Caption ......

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27 JAN AT 9:52

मुझपर रंग तेरा इतना गहरा है
मेरी ख्वाबों में तेरा ही पहरा है
रम गई हो सांसों में ऐसे सनम
आंखों मे तेरा ही तेरा चेहरा है
मिलती हो पल दो पल के लिए
घाव बनता जिगर पर गहरा है
रुक जाओ ना यही दिल में मेरे
देखो ये पल कितना सुनहरा है
ये वक्त थम जाए अब यहीं कहीं
हाथों में हाथ ले होंठ कह रहा है
मुकम्मल कर दो ख्वाहिश सनम
देखो साथ साथ नाम जऺच रहा है

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18 JAN AT 1:03

Kaash kuch lamhe zindagi mein pencil se likhe hote, toh panne faadne ki jarurat nahi padti

Ye Darr bhi na hota ke kuch galat likh diya toh log kya kahenge, ek sukoon sa hota jab vo eraser jaisa dost saath hota jo har galti pe sab mita kar zindagi ka panna fir se naya kar deta

Behtar hota agar pencil se likhte har kirdaar ka naam, aur uski beimani pe mita ke usko kuch dard kam kar pate. Khushi ka nakaab nahi odhana padta humein, bina dare apna kal likh paate

Kaash kuch lamhe zindagi mein pencil se likhe hote, toh panne faadne ki jarurat nahi padti

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16 JAN AT 18:44

तुम्हे क्या मालूम मै कहां जाऊंगा
घाट चौराहा शहर या मर जाऊंगा
मेरी छोटी मोटी आदतों से वाकिफ
किसकी नकल पर ताली बजाऊंगा

घर होगा सूना उजड़ जाएगी दुनिया
छोड़के मुझको जब जाएगी मुनिया
किसे बुलाऊंगा हर छोटी बात में
बनाकर कोई जब लेजायगा कनिया

सोच मत इतना घड़ीभर प्यार करले
लौटूं जब घर शाम को गलें से भरले
जाने कितने दिन चलेगी यारी हमारी
मिरी खातिर बस एक निवाला धरले

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14 JAN AT 14:07

रिश्तों की डोर में वक्तिया ढील देते रहिएगा साहब
कब कटके पतंग गिर जाएगी समझ नही आयेगा

सिर्फ बचेगा धागों में बुना यादें आपके हाथ में
वक्त निकल गया तो कोई कुछ नही कर पाएगा

लूटने कईयों आ जायेंगे कटे पतंग सलीके रिश्ते
आपका रिश्ता फिर कभी आपका ना रह जायेगा

कुछ शब्दो मे मांझा लगाकर पेच लड़ाने आते है
नजर नहीं रखोगे तो फिर क्या ही कोई कर पाएगा

अखिल ब्रह्मांड में अनंत उड़ता रहे आपका रिश्ता
सक्रांति के पतंगों का दांव पेंच रिश्तों में काम आएगा

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