संकट और निवारण एक साथ ही
जन्मते है
व्यक्ति के लिए भी और सृष्टि के लिए भी
इतिहास गवाह है
जब-जब संकट आया है
तब-तब निवारण करने वाली शक्ति
संकट ही शक्ति के जन्म का कारक है |
संकट का जन्म है अवसर का जन्म
स्वयं को बदलने ,, विचारों को नई ऊंचाईयां देने,,
आत्मा को बलवान करने का अवसर
और जो यह कर पाता है उसे कोई संकट नही
और जो यह नही कर पाता वो स्वयं में ही एक संकट है ||
विचार किजिए
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