इस खूबसूरत एहसास के चक्का मे, एक लड़िए ख़ुद से ही हो गए...
अपने सारे उस सपनों में, बाबरी सी हो, तेरा एहसास भारती...
मानो बहती तेरे एहसास के दरया में किनारा तेरे बाहो का ढूंढती...एक लड़िए खुद से ही हो गए...
क्यों तेरे चाह मे मैं नहीं और तुझे ना' चाहना मेरे वश मे नही...।
इस प्यार और एहसाह की दरया में, 'एक एहसास एक प्यार' खुद के लिए ढूंढते, एक लड़िए खुद से ही हो गयी...
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