ह्रदय में नारियों के प्रति जहां सम्मान होता है,
उसी घर में बिना मंदिर बसा भगवान होता है।
मां के रूप में नारी हमें क्या क्या नहीं देती,
मां के लिए अपने अपने बच्चे की खुशी ही उसका जहान होता है।
बहन बिन दिन राखी का बहुत बेचैन करता है,
रोली के बिना माथा और राखी बिना कलाई बड़ा सूना सा लगता है।
पत्नी अर्धांगिनी का रूप होती है,
पुत्री घर में लक्ष्मी स्वरूप होती है,
जिस घर में इनकी पूजा होती है,
वहां बिना आह्वान के है भगवान विद्यमान होता है।।
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