"बेटियों को समर्पित"~
आन्दोलनों में बेटी खोईं,बेटों का बनाया है पहाड़।
और जब दिल ये गीदड जैसा है,शेरों सी देते क्यों दहाड़॥
अब जान जाओ ऐ अनजानों,अन्जाम पर जाकर क्या होगा।
जिसे अंतरिक्ष तक जाना हो,धरती में दबा कर क्या होगा॥
लक्ष्मी पूजन हम सब करते नवदुर्गा का करते प्रयोग।
घर आई लक्ष्मी धूमिल करदी केसा है ये भक्तियोग॥
भरा हुआ हो जो षड़यंत्रों से वह तंत्र बना कर क्या होगा।
जिसे अंतरिक्ष तक जाना हो धरती में दबाकर क्या होगा॥
जब दुनिया में बेटी ना होगी क्या बेटा वंश चला लेगा।
बिन माँ के क्या कोई बेटा राजवंश को पा लेगा॥ फिर बिन बेटी के बेटों का दरबार बनाकर क्या होगा।
जिसे अंतरिक्ष तक जाना हो धरती में दबा कर क्या होगा॥
*स्वलखित,
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