अपने अश्कों की धारा से , तेरी चाहत की बगिया को सीचे बैठे थे ,
सवेरे से हम , तेरे इंतज़ार में , तेरे घर के निचे बैठे थे |
१ ) जब खुला था Balcony का Gate
मैं समझा तू अपनी एक झलक दिखाने आई थी ,
तेरा चेहरा छुप गया था उस चादर के पीछे
जिसे धो के तू बस सुखाने आई थी |
बस तेरी एक झलक मिल जाये , इसी दुआ में आँखें मीचे बैठे थे ,
सवेरे से हम , तेरे इंतज़ार में , तेरे घर के निचे बैठे थे |
२ ) तू निकली बहार जब Car में , तब तेरा चेहरा दिखने वाला था ,
पर मेरी किस्मत इतनी ख़राब थी , कि तेरी गाड़ी का शीशा भी काला था |
भागा तेरी गाडी के पीछे , न था बिलकुल भी थका हुआ ,
फिर बहार जब तू निकली थी तो , तेरा चेहरा भी था ढका हुआ |
मेरे दिल की डोर , जो बस छूट ही गयी थी
उसको किसी तरह से खीचें बैठे थे ,
सवेरे से हम , तेरे इंतज़ार में , तेरे घर के निचे बैठे थे |
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