**कहानी एक जवान की**
कहानी एक जवान की ।
जूझते मेरे किसान की ।।
हाँ, बेशक वो भाग्य-विधाता है ।
फिर भी भूख से मर जाता है ।।
अर्थव्यवस्था के आन की ,
कहानी एक जवान की ।
जूझते मेरे किसान की ।।
एक सहारा भूमि, कैसे जाए छोङकर ?
बेशक व्याकुलता उसके हर मोड़ पर ।।
अकथनीय दशा कन्यादान की ,
कहानी एक जवान की ।
जूझते मेरे किसान की ।।
दशा उसकी दयनीय है ।
व्यथा अब अकथनीय है ।।
हो रक्षा उसके अभिमान की ,
कहानी एक जवान की ।
जूझते मेरे किसान की ।।
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