ज़िंदगी तू ही बता, हमने ख़ता की क्या है क्यों खफ़ा हमसे सभी, इसकी वज़ह ही क्या है हारते "हम" ही रहे, करके 'भलाई' देखो जीतने वाले कहें , 'सच',तेरी चलती क्या है
मन से सारे विषाद.. दरकिनार.. करके.. अंग अंग थिरकता ..! भावनाएँ.. सुर.. लय.. और ताल के साथ.. होती साधनारत....! सुखद अनुभूति.. की पराकाष्ठा .! सम्मिलित हो.. कभी.. स्वयं का सुख..! तो कभी पेट की भूख..! कहीं पुर्ण समर्पण.. और मीरा की जैसी दीवानगी.. तीव्र उत्कंठा के साथ ही.. ईश्वर में विलीन हो जाती ..! हाँ.. शायद यही तो है "नृत्य"!
ये कहानी बादे सबा की कहानी नहीं जो खुशनुमा होगी इसकी नजरें होंगी नम होठों पर सर्द आह होगी होंगे सपने सीले सीले से इसके बुझती साँसे होंगी तबियत धुआं धुआं होगी क्योंकि ये उस जिंदगी की कहानी होगी जो हमारी है तुम्हारी है अंजानी नहीं जानी पहचानी है ये कहानी पढी जायेगी बार मगर खामोश इसके होंठ चुभती हुई बानी होगी...
नृत्य खुशी का इजहार है ये राधा-कृष्ण का प्यार है बरखा में छाया खुमार है त्यौहारों का ये विस्तार है दुःखों को करता इंकार है यह उमंग का इश्तहार है प्रसन्नता का ये इकरार है चेहरे पे बरसता निखार है नृत्य कलाओं का निहार है।
नाच मुसाफिर इस जग में नाचन को ही आए हैं नाच नचाएँ जीवन हर पल देकर साज खुशी गम का जिसके वश में जीवन डोरी थिरके उसके ताल पर जम कर
ना वश में है खुद के बंदे रोक सके जो इस थिरकन को कठपुतली सी झूम रहे खींचे वो जिस ओर डोर को पूर्ण ना हो जब तक संगीत उसकी नाच मुसाफिर इस जग में नाचन को ही आए हैं
Things we do for love, some make sense, and while most don't. You would disagree only to agree to the wrong. Once you realize you are out of love, then it makes sense that you were just doing what you were , blindly🥀