तो जैसा कि अमूमन हर क़िस्से में होता है एक था लड़का और एक थी लड़की। आजकल शहरो की बात चल रही है तो दोनों के शहरों का तार्रूफ करा देते हैं। तो लड़का था बनारस से, पर वो बनारसी बाबू टाइप नहीं था, बल्कि सीधा-साधा थोड़ा सा शर्मीला था, और लड़की थी लखनऊ शहर से। पर लड़की भी कोई लखनवी नज़ाकतों वाली नहीं थी, उसे आराम से टॉम बाय की श्रेणी में रखा जा सकता था। दोनों ने पहली बार एक दूसरे को देखा बैंगलुरु के कबन पार्क में। दोनों ही नौकरी के सिलसिले में बैंगलुरु में रह रहे थे। लड़की हर सुबह जॉगिंग करने कबन पार्क जाती और लड़के को सुबह का वक़्त क़ुदरत के साथ बिताना पसंद था। तो शुरू के चन्द महीने बस आँखो से हल्की मुस्कुराहट के आदान प्रदान में निकल गये। फिर धीरे-धीरे हेलो-हाय शुरू हुआ। और फिर हिंदी भाषा के चलते बातचीत भी शुरू हो गयी। उसके बाद जैसा कि अक्सर होता है दोनों में पक्की दोस्ती हो गयी। फिर opposite attracts की तर्ज़ पर सचमुच दोनों के बीच प्यार हो गया। (Caption में आगे पढ़ें) -सारिका सक्सेना
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