QUOTES ON #NANOSTORY

#nanostory quotes

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13 JUN 2017 AT 23:33

निग़ाह उसने इक झटके से मोड़ ली मुझसे
उसकी आँखों में जो बसी थी तसवीर मेरी
वो चकनाचूर हो गयी होगी

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31 JUL 2018 AT 21:18

"Saw you online
Had A talk with you 5 minutes ,
Felt better 24 hours"...

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11 JUL 2017 AT 17:37

In this world of rabbits she was like a tortoise,
Slowly and steadily she won the race of life.

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28 APR 2021 AT 21:16


ನ್ಯಾನೊ ಕಥೆ (ನೈಜ)
ಶೀರ್ಷಿಕೆ:- "ಇಂತಹ ಹೂವುಗಳು ಅದೆಷ್ಟೋ "
ಕಥಾನಾಯಕ: ಮುದ್ದು

ಆಲದ‌ಮರವಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲ ಹೂವೂ ಕೂಡ‌ ನೆರಳಾದೀತು ಕನಿಷ್ಟಪಕ್ಷ ಇರುವೆಗೂ, ನಲ್ಲನೆನಿಸಿಕೊಂಡ ಚಿಟ್ಟೆಗೂ ಒಂದು ದಿನ ಆಸರೆ ಆದೀತು...

( ಕ್ಯಾಪ್ಷನ್ ಓದಿ ನ್ಯಾನೊ ಕಥೆಗಾಗಿ )

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21 JUL 2017 AT 19:53

पुरु का सपना।

कहानी कैप्शन में...

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30 MAR 2017 AT 8:00

तो जैसा कि अमूमन हर क़िस्से में होता है एक था लड़का और एक थी लड़की। आजकल शहरो की बात चल रही है तो दोनों के शहरों का तार्रूफ करा देते हैं। तो लड़का था बनारस से, पर वो बनारसी बाबू टाइप नहीं था, बल्कि सीधा-साधा थोड़ा सा शर्मीला था, और लड़की थी लखनऊ शहर से। पर लड़की भी कोई लखनवी नज़ाकतों वाली नहीं थी, उसे आराम से टॉम बाय की श्रेणी में रखा जा सकता था। दोनों ने पहली बार एक दूसरे को देखा बैंगलुरु के कबन पार्क में। दोनों ही नौकरी के सिलसिले में बैंगलुरु में रह रहे थे। लड़की हर सुबह जॉगिंग करने कबन पार्क जाती और लड़के को सुबह का वक़्त क़ुदरत के साथ बिताना पसंद था। तो शुरू के चन्द महीने बस आँखो से हल्की मुस्कुराहट के आदान प्रदान में निकल गये। फिर धीरे-धीरे हेलो-हाय शुरू हुआ। और फिर हिंदी भाषा के चलते बातचीत भी शुरू हो गयी। उसके बाद जैसा कि अक्सर होता है दोनों में पक्की दोस्ती हो गयी। फिर opposite attracts की तर्ज़ पर सचमुच दोनों के बीच प्यार हो गया। (Caption में आगे पढ़ें) -सारिका सक्सेना

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5 MAY 2017 AT 10:32

LATE

Putting down the jug in the table, I looked at the clock once more. It was half past seven, Vasu should have returned from his school by then. Without wasting any moment further, I hurriedly called at the school's office to enquire if the school had been dismissed late. Unfortunately, it was not so. School bus must have arrived the bus-stop an hour back. Then where is Vasu?
(continued in caption)

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28 MAR 2017 AT 10:08

वो दोनों बहुत ख़ुश थे। घर में एक और ख़ुशी जो आने वाली थी। पर कुछ दिनों से लड़की अनमनी सी थी। उसे कुछ अच्छा नहीं लगता था, लड़का उसके अनमने पन से परेशान न हो इसलिए वो मुस्कान ओढ़े रहती। लड़का उसकी धड़कनों तक को समझता था तो उसके मन को कैसे न समझता। उसने लड़की को ख़ुश करने की कई जुगत बिठायी पर लड़की को कुछ न भाया। फिर उसे कुछ याद आया और उसने अपने मोबाइल पर Amazon की app खोल कर कुछ ऑर्डर किया। अगले दिन कुरीयर आने पर लड़के ने पैकेट किचन में ले जाकर खोला। उस पैकेट में थी एक आइस शेविंग मेकिंग मशीन। फ्रिज से बर्फ़ निकाल कर उसने एक ताज़ा बर्फ़ का गोला बनाया और उस पर काला खट्टा, और रूह आफ़जा शरबत डाला। एक ट्रे में उसे सजाकर जब वो लड़की के पास ले गया तो लड़की ख़ुशी के मारे उछल पड़ी। लड़की ने जी भर के बर्फ़ का गोला खाया। लड़के को वो दिन याद आ गया जब एक दोपहर को बर्फ़ का गोला खाती लड़की को वो अपना दिल हार बैठा था। लड़की ने नज़र भर के लड़के को देखा और एक संतोष की साँस भर कर सोंचा, जो मेरी क्रेविंग को मुझ से ज़्यादा समझ सकता है, उसे चुनना मेरी ज़िंदगी का सबसे सही फ़ैसला था।
-सारिका

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20 MAR 2017 AT 19:13

ख़ूबसूरत झूठ

वो दोनो पिछले एक साल से एक ही दफ़्तर में काम करते थे। हल्की सी चाहत के इशारे दोनो तरफ़ से थे। आज पहली बार दोनो साथ खाने पर गये थे। खाने के बाद लड़के ने लड़की से पूछा, "कौन सी आइसक्रीम मंगाऊँ?"
लड़की ने झूठ बोला, "नहीं, आज मेरा गला ख़राब है। आइसक्रीम फिर कभी।"
लड़की ने लड़के को अपने पर्स में रुपये गिनते हुए पहले ही देख लिया था।
एक ख़ूबसूरत झूठ से शुरू हुआ उनका ये रिश्ता बहुत लम्बा चलने वाला था।

-सारिका

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1 MAR 2017 AT 14:50

रेशमी साड़ी
माया ने जब कपड़े निकालने के लिए अलमारी खोली तो रोज़ की ही तरह उसे समझ नहीं आया की क्या कपड़े पहने। उसके पास अनगिनत कपड़े थे फिर भी हर बार बाज़ार जाने पर वो नए कपड़े ख़रीद लाती। आज उसने अपनी अलमारी की छँटाई करने की सोंची। २ घंटे कपड़े सजाने के बाद वो केवल एक साड़ी अलग कर पायी जो उसने अपनी काम वाली अम्माँ को देने के लिए अलग रख दी।
अगले दिन जब अम्माँ काम पर आयी तो उसने वो साड़ी उसे दे दी। अम्माँ ने माया को ढेर सारा धन्यवाद और आशीर्वाद दिया और साड़ी लेकर अपनी झोपड़ी में आ गयी। जब उसने साड़ी का वो पैकेट खोला तो उसमें से महीन रेशमी काम की एक साड़ी निकली। अम्माँ ने अपनी उँगलियों के पोरों से उसे धीरे से सहलाया। उसकी खुरखुरी उँगलियों के पोर से साड़ी के महीन रेशमी धागे खिंचने लगे। उसने एक ठंडी साँस लेकर साड़ी उठाकर अपने इकलौते संदूक में बंद कर दी। ये साड़ी उसके भी किसी काम की नहीं थी।
-अभिसारिका

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