*...... चंद रिश्ते......*
उस गली में जो घर है, वो घर किसका है......
ये रोशनी के दियें तो उसके घर में जल रहे है,
फिर ये शहर में धुआं किसका है ......
रात के शहेर में जो महेफूस है अबतक,
मुझे जानना है वो घर किसका है......
चंद रिश्ते है निभाने को फिर भी वो पूछता है ,
ये जो महबूब है वो महेबुब किसका है.....
©ab_ink
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