अब रात-ब-रात मुश्किल हो रही हैं,
नीदं आंखोें से ओझल हो रही है,
अब कस्मकश हो रही है जिंदगी
ना ही करीब आ रही है और ना ही दूर जा रही है ....
अब रात-ब-रात मुश्किल हो रही हैं |
इक सिलब सा उठा है इस दिल में,
इक दरिया खामोश हैें इन आंखोें में,
ना जाने कैसे रूह से जिस्म की अनबन हो रही है.....
यादें एक लव है जो जल रही है और बूझ रही है,
अब रात-ब-रात मुश्किल हो रही हैं |
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