छोड़कर इस कदर तुम कहाँ जाओगे
बेवजह रूठ कर तुम कैसे रह पाओगे...
हमने देखी बहुत तेरी रुसवाईयाँ
तुम गये थे जहां से वही आओगे,
जब भी तन्हाई मे खुद को समझाओगे
अपने आसूँ में तुम मुझे पाओगे,
यूँ आँखे बंद कर तुम न रह पाओगे
ख्वाब में भी तुम हमे ही संग पाओगे,
फेरकर यूँ निगाहे तुम न जी पाओगे
मुस्कुराकर गम को न छिपा पाओगे ,
जी लिए जो कभी फिर क्या वैसे जी पाओगे
जी लिए भी अगर पर मर न पाओगे,
कुछ तुम्हें याद है मेरी परछाइयाँ
यूँ भुला के वफ़ा किसी से कैसे कर पाओगे,
छोड़कर इस कदर तुम कहाँ जाओगे
बेवजह रूठकर तुम कैसे रह पाओगे ....
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