तुम्हारे यूँ जाने की जिद्द में,
मेरी तुम्हे पाने की जिद्द में,
रोज़ यह दर्द सहता है।
दिल तू क्यों रोता है?
तुम्हारे न बोलने की जिद्द में,
मेरी तुमसे कुछ सुनने की जिद्द में,
यह तो बस चुप ही रह जाता है
दिल तू क्यों रोता है?
तुम्हारे मुझे यूँ सताने की जिद्द में,
मेरे यूँ तड़पने की जिद्द में,
इसे ही तो चोट लगती है
दिल तू क्यों रोता है?
अब तो आदत डाल ही ले
न वो आएगा, न बुलाएगा
तड़पना भी तुझे ही है, जीना भी तुझे है
फिर भी दिल, तू क्यों रोता है?
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