जानता हैं वापस नहीं आना फिर भी उसी के रस्ते ताकें बीते दिन वापस नहीं आना हार गया मैं इस दिल को समझाके जो ख़ुद से फ़ुरसत मिले कभी तो बताना किस चीज़ की कमी थी तुम्हें जो मिल गया तड़पाके
दिल मेरा जब मकान था किराया तो मिलता था खँडहर जबसे हुवा , लूटने का सिलसिला थमा नहीं .. ढहे कुछ ऐसे सोचता हूँ बने कब्रिस्तान ही सही.. मुर्दे दिल पे ग़ुलाब जचते नहीं कभी ..💔🌹