QUOTES ON #MAHAVEERJAYANTI

#mahaveerjayanti quotes

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6 APR 2020 AT 9:11

सभी देशवासियों को महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। सत्य, अहिंसा, त्याग और तपस्या पर आधारित उनका जीवन हर किसी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बना रहेगा।

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25 APR 2021 AT 9:06

अहिंसा

अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है। किसी के अस्तित्व को मिटाने की अपेक्षा उसे शांति से जीने दो और स्वयं भी शांति से जियो इसी में सभी का कल्याण है। इस संसार में जितने भी जीव हैं उनके प्रति दया भावना रखों। 

महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं
🙏🙏🙏🙏🙏

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6 APR 2020 AT 18:22

वीर के चरणों मै हर दम रहते है..
ये जैन होने का परिचय देते है..🙏
हम प्यार से हर बात सबसे कहते है
ये जैन होने का परिचय देते है..😊


जो चलते है अहिंसा पथ पर ,
जैन वहीं कहलाते है
महावीर तेरे ही नाम से
हम पहचाने जाते है🙏😌

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5 APR 2020 AT 7:27

अहिंसा संयम तपोमय जीवन महावीर संज्ञान
जीव-जंतु सहित प्रकृति अक्षुण्ण रखना ज्ञान

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4 APR 2023 AT 12:13

आसान नहीं वर्धमान हो जाना...

गर्भ में आने से 6 माह तक रत्नों का बरसाना
जन्म होने पर इन्दों द्वारा 1008 कलशों से
अभिषेक का सौभाग्य पाना
अपार साम्राज्य व सम्पूर्ण वैभव को छोड़
वन की ओर निकल जाना
तपस्या में हो लीन
केवल्य ज्ञान को प्राप्त कर जाना
पंच इंद्रियों को जीत मोक्ष को पा जाना
आसान नहीं तीर्थंकर महावीर हो जाना..

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25 APR 2021 AT 7:07

(ಅಹಿಂಸಾ ಪರಮೋಧರ್ಮ.....
ಅಹಿಂಸೆ ಎಂದರೆ ಮತ್ತೊಂದು ಜೀವಕೆ ತೊಂದರೆ ದುಃಖ ಕೊಡದೆ ಇರುವದು......ಮತ್ತೊಂದು ಜೀವದ ಮನಸ್ಸು ನೋವಿಸುವದು ಕೂಡಾ ಹಿಂಸೆಯಾಗಿದೆ..ಮಾತು ಮನಸ್ಸು ಹಿತ ಮಿತವಾಗಿದ್ದು...ಜೀವದ ಜೀವನದ ಅರ್ಥ ತಿಳಿದು ನಡೆಯುವದಾಗಿದೆ..
,😊 ಬದುಕು ಬದುಕಲು ಬಿಡು..
ಭಗವಾನ ಮಹಾವೀರ..🙏

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25 APR 2021 AT 9:05

णमो अरिहंताणं - अरिहंतो को नमस्कार हो
णमो सिद्धाणं - सिद्धो को नमस्कार हो
णमो आयरियाणं - आचार्यो को नमस्कार हो
णमो उवज्झायाणं - उपाध्यायो को नमस्कार हो
णमो लोए सव्व साहूणं - इस लोक के सभी साधु - साध्वियो को नमस्कार हो

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6 APR 2020 AT 8:40

जन-जन में सत्य, अहिंसा व प्रेम जगाये ।
दूर हम सब वैर, पाप और ईर्ष्या भगाये ॥
परोपकर कर दीनों पे हम सब इस बार,
आओ आर्यो हम महावीर जयंती मनाये ॥

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25 APR 2021 AT 20:49

Q: Why are followers of Lord Mahaveer called Jain?

A: Kyunki Mahaveer Jain-thi

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30 MAR 2018 AT 13:23

हों गया हैं शंखनाद
अब अहिंसा का बिगुल बजाना हैं,
पंथों में ना बटना जैनियों,
हमें जिनशासन का मान बढ़ाना हैं|

तेरह पंथ से बिसपंथ तक,
मंदिर से स्थानक तक,
क्या बदला;क्या पाया तुमनें,
बटवाँरा कर जिनशासन का मान गिराया हैं |

महावीर ने ना पंथ बनाये,
ना ही पंथों में बाँटा हैं ,
तो फिर; क्यों तुम पंथ बनाते,
जब महावीर ने एक बनाया हैं |

आ गया वह शुभ अवसर अब,
पंथों कों खण्डि़त कर,
जैनत्व को अखण्ड़ बनाना हैं|

आओं सब मिलकर एक बनें,
जिनशासन का मान बढ़ाते चलें,
अनुनायी हैं हम महावीर कें,
महावीर कें उपदेशों का पालन करतें चलें |
आओं सब मिलकर एक बनें |

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