पहाड़ों से निकलती नदियों को देखता हूँ जो पूरी तीव्रता से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है। अपने साथ खुशी के सारे पलों को समेट कर ले जा रही है। तभी मेरी नज़र मार्ग में पड़े कुछ पत्थरों पर पड़ती है जिनके ऊपर से धाराएँ तो गुजर गयी लेकिन साथ चलने वाले पुष्प फँसे रह गए। पीछे से आती धाराएं भी काफी जद्दोजेहद कर रही पर तमाम कोशिशों के बावजूद वो फँसे फूल को नहीं निकाल पाती, अपने साथ आगे नही ले जा पाती।
एक लड़की का प्यार भी बिलकुल ऐसा ही होता है। ज़िन्दगी की गाड़ी के साथ भले उसका शरीर अपने परिवार और रिश्तों की जिम्मेदारियों के साथ आगे बढ़ जाता लेकिन मन पूरी ज़िन्दगी वहीं अटका रह जाता पत्थर के बीच फंसे किसी फूल की तरह।
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