ज़िन्दगी की चकाचौंध में खो सी गयी हु,
जाने किस मोड़ पे ले आयी ये कामयाबी,
रिश्तेदारों से दूर और दोस्तों से विच्छेद गयी हु,
कहने को तो बहुत काम है ज़िन्दगी में,
पर फिर भी अंदर से खाली सी होगयी हु,
अंधेरों के सायों में रौशनी ढूंढने चली थी,
लेकिन आज अश्कों से रूबरू होगयी हु,
ज़िन्दगी की चकाचौंध में खो सी गयी हु...
© सुरभि सरीन
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