“खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ..
चाहता हूँ तो ये दुनिया बदल दू,
पर दो वक्त की रोटी के जुगाड़ से
फुर्सत नही मिलती दोस्तों…
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली
फिर भी ये वक्त मेरे हिसाब से कभी न चला।
यु ही हम दिल को साफ रखने की बात करते हैं,
पता नही था की कीमत चेहरों की हुआ करती हैं..
अगर खुदा नही हैं, तो उसका ज़िक्र क्यों,
और अगर खुदा हैं तो फिर फिक्र क्यों..
~ हरिवंशराय बच्चन
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