*MUKAM*
खुदा करे जिसको हम रास न आए ,
उसके दिल में राम बस जाए।
मुकाम तो एक ही है जिंदगी में,
की कुछ ऐसा कर जाए की सैलाब भी फिका पड़ जाए।
आग में तो सोने को पिघलाया जाता है,
जनाब, असली हिरा तो दबाव में ही बनता हैं।
माना दबाव बहोत है,
पर फते हासली करने के लिए हमें ये भी मंजूर हैं।।
-