तू ही दुआ, तू ही सलाम आखिरी है
सफ़र भी तू ही और तू ही मुकाम आखिरी है
जरा इत्मीनान से पढ़ना हर एक लफ़्ज़ मेरा
मुझ काफ़िर का ये तुझे पैगाम आखिरी है
ज़रा सा और वक्त मिलता तो मुहब्बत के मेले दिखाता तुझे,
मगर अफ़सोस तेरे शहर में मेरी शाम आखिरी है
एक लिस्ट बनाई है मेरी कहानी में आये सारे वफ़ादारों की,
और उनमें लिखा मैंने तेरा नाम आखिरी है
ताउम्र मलाल रहेगा इस बात का,
बिछड़ते वक्त तूने इक दफ़ा भी रोका नहीं मुझे,
बस यही मेरा तुझपर इल्ज़ाम आखिरी है
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