सीरत से पत्रकार हूँ,पेशे से कामगार हूँ..
लहज़े से कवि हूँ और यारों का मैं यार हूँ..
दिल है मेरा मोम,मगर ज़िद में कोई पहाड़ हूँ..
शब्दवंश के ख़ानदान का एक क़लमकार हूँ..।।
प्रेमरस की बौछार हूँ,वीररस की भरमार हूँ..
क़िरदार है आईने सा,जीवन मे सदाबहार हूँ..
युवा जोश में क्रांति की महज़ अल्प दरकार हूँ..
देशद्रोहियों के जीवन पर शब्दों का धिक्कार हूँ..।।
सनातनी सभ्यता है,भारत माता का लाल हूँ..
इस मिट्टी की आन पर जान देते को तैयार हूँ..
क्रांति की ज्वाला सीने में सदा जलाए रखता हूँ..
धर्मध्वजा के महासमर का छोटा सा हथियार हूँ..।।
मैं सीरत से पत्रकार हूँ,पेशे से कामगार हूँ..
लहज़े से कवि हूँ और यारों का मैं यार हूँ..।।
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