मतलब के रिश्ते
भाग दौर वाली राह में, अपनों की क्या खोज खबर
जब तक हो सब कुछ बढ़िया, दूसरों की क्या जरुरत
मगर जिंदगी तो है उगते डूबते सूरज की तरह
आज है खुशियों तो कल परेशानी, तब कही जाके हमें याद आती है रिस्तेदारी
मगर भागम भाग में इतने हम खो है जाते
अनजाने बहुत रिश्ते टूट से है जाते
रिश्ते तो प्यार, विश्वास, नजदीकियों से है बनते
ना की बस जरुरत के वक़्त याद आये वो है रिश्ते
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