QUOTES ON #JAIPURLITERATUREFESTIVAL

#jaipurliteraturefestival quotes

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20 AUG 2019 AT 17:41

I'm dump, you are my translator
I'm test paper, you are my invigilator
I'm beep, you are my heartbeat producer
I'm blank , you are my pen or paper!!

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10 NOV 2018 AT 21:20

तुम्हारे आँखों के "जलमहल" में फंसकर,
मेरा इश्क़ तेरे यमुना के घाट में डूब जाता हैं |

ये दिल भी महकता था कभी "सिसोदिया गार्डन" सा,
अब यादों का "अल्बर्ट हॉल म्यूजियम" बना जाता हैं |

तुम लगती हो ख़ूबसूरत जैसे "हवामहल की खिड़की" हो,
देख तुम्हे इस दिल को "रावत कचोरी" सा स्वाद आ जाता हैं |

तेरी चमकती सूरत के "बिरला मंदिर" को देखकर,
मेरा मन भी "गढ़ गणेश" सा पवित्र हो जाता हैं |

मुस्कराहट खूबसूरत तेरी जैसे "WTP" की शाम हो,
उस पर मेरा दिल "मालवीय नगर" के ट्रेफिक जाम सा रुक जाता हैं |

"आमेर महल" के वैभव वाली,"कंचन केसरी" सी प्यारी लगती हो,
"जंतर मंतर" सी आकर्षक तुम, मेरे दिल में बसती हो |

"गोविन्द देव जी" के आशीर्वाद से, आज में ये लिखता हूँ,
खूबसूरत हो तुम *जयपुर* जैसी,में तुमसे प्रेम करता हूँ।

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23 JAN 2020 AT 21:00

Passion for words.....

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6 APR 2020 AT 16:54


दूर होकर भी पास नजर आता है
हर फोन की घंटी पर उसका
एहसास नजर आता है..
मोहब्बत तो आज भी है मगर दूरियों
के सारे मंजर का वह ख्याल नजर आता है..

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14 FEB 2020 AT 21:01

ख्याल उनका आया,
वो तन्हा हैं,आज भी मेरी याद में
क्या ख्याल उनकों भी आया मेरी बात पे
रोका नही मुझे भी उस बात पे....
फिर भी, कुछ कहना था उनकों किसी बात पे
मुझे निकाला गया उसी ख्याल से ....
अब नही आना उनकी झुटी बात पे....

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Jaruri nhi mohabbat me
Roj baat ho...

Roj baat karne walo ko
Dhokha dete dekha hai
Mene....


@jaipurbanna

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18 JAN 2019 AT 20:38

Anybody Joining me for the
Jaipur Literature Festival?
Come on, Folks!
It's going to be fun!

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7 FEB 2017 AT 19:35

लोग कहते हैं :" बड़े दिनों से तुमने कुछ लिखा नहीं |

मैंने कहा :" बस अब दिमाग की बातें दिल के लबों से कलम तक आनी बंद सी होगई हैं "|

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19 JAN 2017 AT 20:15

ज़िन्दगी , हाँ ज़िन्दगी , कभी सोचा आखिर ज़िन्दगी क्या है |
ये ज़िन्दगी कैसी है क्यों हैं , किस्से है , किनके लिए है |
क्या ये युहीं घड़ी के लम्हो से जुड़ा इक पहर है , या फिर नसीब के वो पल जो हम अनेक लम्हो में बिता देते हैं !

क्या ये माँ की गोद में खेलता नन्हा बचपन है |
या फिर उस मेहबूब की आँखों में छुपा गहरा प्यार ||
या फिर बूढ़ापे में छूटती हुई दुनिया का एहसास है |
आखिर कार क्या है ये ज़िन्दगी ||

लेकिन कभी रूह की नज़रों से देखो तो पता चलेगा ये ज़िन्दगी क्या है |

ये ज़िन्दगी पर्वतों के पीछे से उगते हुए सूरज की रौशनी है |
ये ज़िन्दगी अमावस के अँधेरे को मिटाते हुए चाँद की शीतलता है ||
ये ज़िन्दगी पेड़ो की टहनी पे सुरीली कोयल का मधुर संगीत सा है |
ये ज़िन्दगी समुद्र के किनारे पर शांत होती लहरो सी चंचलता है |
ये ज़िन्दगी ऊँचे शिखरों पैर जमी सफ़ेद बर्फ की विशुद्धता है
आखिर कार बहुत खूब सूरत है ज़िन्दगी ||

पर क्या कभी इस ज़िन्दगी को महसूस किया है |
क्या कभी उस नन्ही माँ के आँचल में खिलखिलाती ज़िन्दगी को महसूस किया है ||
क्या कभी बारिश के मौसम में सड़को पर पानी में छपकते हुई उस नन्ही ज़िन्दगी को महसूस किया है |
क्या कभी उस उस माँ के हाथ के खाने में छुपे उस मुह के स्वाद जैसी ज़िन्दगी को महसूस किया है |
क्या कभी बाबा की धुप और बारिश में दौड़ती हुई उस ज़िन्दगी का एहसास किया है||
क्या कभी किसी प्यार करने वाली की अश्को में छुपी उस ज़िन्दगी पे ऐतबार किया है |
क्या कभी उस ढलती हुई उम्र में एक दूजे का हाथ थाम कर चलती हुई ज़िन्दगी का एहसास किया है ||

पर ये ज़िन्दगी थम क्यों जाती है |

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8 FEB 2017 AT 21:38

मैं तो चाँद की तरह ज़िन्दगी में उजाला भरना चाहता था |
पर तुम्हे तारों की टिमटिमाहट से फुरसत न थी ||

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