इश्क़ में हमने कुछ नहीं देखा सारी दुनिया भूल गए
उन गहरी आँखों के आगे हम मयखाना भूल गए
तुझसे बिछड़कर तुझसे ही मै मिलता हूँ ख्वाबों में
यादों में तेरी डूबे रहे हम मरना जीना भूल गए
था बुलंदी पर तो उसको चाहने वाले खूब रहे
गर्दिश के दिन जब आए सब आना जाना भूल गए
कोई जाके ये पूछे शुभ मेरे चाहने वालों से
मुझको पड़ने में वो क्यूँ खाना पीना भूल गए — % &
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