तू किसी रेल सी गुज़रती है,
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ।
तेरी आँखे हैं गहरी झील कोई,
मैं उनमे अक्सर डूब जाता हूँ।
तुमसे दूर जाने की कोशिश में,
तुम्हे मैं अपने करीब पाता हूँ।
देख कर तेरी तस्वीर को,
मैं मंद मंद मुस्कुराता हूँ।
तेरा नाम आ जाता है लबों पर,
मैं तुम्हे गीत सा गुनगुनाता हूँ।
तेरी बोली है मीठी कोयल सी,
सुन के मैं मन्त्रमुग्ध हो जाता हूँ।
तू वक़्त सी गुज़र जाती है पल में,
मैं तेरे लौटने की आस लगाता हूँ।
तेरी यादें हैं कोई गहरा समुन्दर,
मैं उनमे डूब सा जाता हूँ।
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