जो विसर्जित हुई है वो मूरत मिट्टी की है "माँ " रह गयी है हमारे मन के विश्वास में
विसर्जन प्रतीक मात्र है उस परम सत्य का जो कहता है समस्त पार्थिव वस्तु नश्वर है शरीर, रूप, सौन्दर्य का विनाश निश्चित है
जो विसर्जित हुई है वो मूरत मिट्टी की है "माँ " रह गयी है हमारी शक्ति में , भक्ति में उर्जा स्वरूप लीन हमारी अनश्वर आत्मा में जीवन स्वरूप विशाल सृष्टि के कण कण में