मेरी मोहब्बत का आधा
मुझे समेट कर अपनी बाहों में ,
बहुत देर तक मुझसे बातें करना ,
मैं जो कहूं उसे अपने दिल से सुनना,
मेरे हाथों को अपनी हाथों से सहलाना ,
मैं जो सहम जाऊं कहीं तो ,
मेरे मैपन को आप कर जाना,
मुझे समझना थोड़ा , कहीं कहीं,
कही मेरी हर बात को ,
मेरे दिल के जज़्बात समझना ,
सिसकते हुए नैनों के किनारों को ,
अपने हथेलियों का विश्वास दिखाना ,
मैं टूट कर बिखर जाऊं ,किसी हालातों में ,
उससे पहले मुझे खुद में समेट लेना ,
मैं जितना मोहब्बत करूं ,
उसका आधा भी मुझसे जरूर करना।
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