तू चांद है चौधरी का
तेरी चांदनी की क्या तारीफ करु,
तू बादल सी सर पर रहती है
तेरी घटा की क्या तारीफ करू ,
तू मौैसम की रवानी है ,
एक मद्धम सी कहानी है ,
तेरी आंखो की जो मस्ती है ,
उसकी क्या तारीफ करू,
तू खुशबू एक अनोखी है ,,
जो हवा के संग गुजरती है,
उस हवा में खोकर मै
बस तेरी ही तारीफ करू ।
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