यूँ तो वो मुश्किल से कभी घबराता नहीं है
बस शर्म से आजकल बाहर जाता नहीं है
कमी फरमाई नहीं है कूदरत ने उसे ऐसे तो
मेरा दर्द है कि वो खुल के मुस्कुराता नहीं है
ये जो सफ़ेद दाग देखते हो बदन पे उसके
मिट गया, पर तुम्हारे मन से धुंधलाता नहीं है
वो गरीब है, दुनिया उसपे तंज कसती हैं
अमिताभ के आगे कोई सुगबुगाता नहीं है
कभी अंधेरों मे खड़े होकर खुद को निहारइए
अंतर उसमें-आपमें कोई नजर आता नहीं है
ये जो भी लोग हैं, इन्हें बस दवा-दारू चाहिए
ये ना समझो लाइलाज है ठीक हो पाता नहीं है
इन्हें भी साथ बैठाओ, खिलाओ, गले लगाओ
मोहब्बत बांटने में अपना कोई घाटा नहीं है
- सुमन "रौशन"
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