मम्मी की हर डांट पर कोई चुपके से हंस रहा है,
मैं जब रो रही हूं तो कोई प्यार से संभाल रहा है,
वो हैं पापा।।
मैं सो रही हूं कोई आराम छोड़कर काम पर जा रहा है,
खुद धूप में तपकर कोई मुझे ए.सी. में बैठा रहा है,
वो हैं पापा।।
मां ने चलना सिखाया कोई पैरों पर खड़ा होना सिखा रहा है,
मेरी हंसी देख कर कोई अपने गम भुलाये जा रहा है,
वो हैं पापा।।
अपने अरमानों को दबाए कोई मेरी सपनों की सेज सजाए जा रहा है,
यह दुनिया पैसे से चलती है कोई सिर्फ मेरे लिए कमाए जा रहा है,
वो हैं पापा।।
जरूरत में मां गहने बेंचती कोई खुद को बेंचता जा रहा है,
वो हैं पापा।।
मैं बेटी होने का फर्ज अदा कर पाई या नहीं पता नहीं,
पर कोई निस्वार्थ अपना फर्ज अदा किए जा रहा है,
वो हैं पापा।।
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