बच्चे कितनी खुशी के साथ होली खेलते हैं। एक बार कुछ साल होली खेले बिना निकल जाएँ तो फिर कितने ही साल होली खेले बिना निकल जाते हैं। मतलब सांगोपांग होली खेले बिना। तिलक वगैरा तो कोई ना कोई कभी-कभी कर जाता है। गालों पर भी रंग कभी ना कभी लगा दिया जाता है। पर पिचकारियों के साथ खेली गई होली, सराबोर कपड़ों वाली होली, ढ़ंग से-तसल्ली से रंगने और रंग जाने वाली होली, जो होली खेलने के बाद नहाना पड़े वो होली, शौंक से खेली गई वैसी होली एक बार छूट जाए तो अक्सर ऐसा होता है कि काफी सालों के लिए छूट जाती है। कृपा की बात ये है कि भगवान की कृपा से भजन-कीर्तन में शामिल होओ तो क्या सुंदर फूलों वाली होली खेलने को मिलती है।— % &वैसे भी भगवान के रंग में रंग जाने से सुंदर होली और क्या होगी? जैसे हैं वैसे भगवान का हो जाने से बेहतर क्या ही होगा? हम भगवान के ही हैं लेकिन इस एहसास में सराबोर हो जाना कि हम भगवान के हैं... क्या प्यारी अद्भुत होली है।— % &
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