"वो बचपन भी कितना प्यारा था जब सिर्फ माँ-पापा का सहारा था पापा की उँगली पकड़कर चला और माँ की गोद में खेला था जब भी चोट उसे लगी कहीं तो सिर्फ माँ का नाम पुकारा था वो बचपन भी कितना प्यारा था जब सिर्फ माँ-पापा का सहारा था"
"आज जवानी के जब दिन आए तो सबसे पहले उन्हें ठुकराया है आज ज़रूरत जब पड़ी उन्हें तो क्यों दूर देश में घर बसाया है माँ-पापा की मेहनत से ही तो तुमने यह महल बनाया है तो फिर क्यों आज तुमने वृद्धा- आश्रम में उनका नाम लिखाया है आज जवानी के जब दिन आए तो सबसे पहले उन्हें ठुकराया है"
अजीब दास्ताँ है मोहब्बत की भी किसी को आसानी से मिल जाओ, तो लोग सस्ता समझ लेते हैं... और फिर भी लोग ना जाने क्यों हैसियत के बाजारों में, जज्बातों को लिये घूमते हैं...!!