फ़क़त “फरीदा” 24 JAN 2022 AT 9:03 स्मृति किरण;पड़ी मन भवन;अश्रु छलके।...क्या है बंधन;शरद न सावन;टूटे मनके।...आस के गीत;मूक स्वीकारे रीत;गाए तड़के।...मिलती नहीं;रहती यहीं कहीं;क्यों तू मिलके। - Binit Thakur 30 MAY 2021 AT 7:56 आत्मिय भावहितकारी सिद्धांतविश्व पूजित । - Binit Thakur 5 AUG 2021 AT 7:14 रुप चन्द्रमाअलौकिक मुस्कानदिव्य अप्सरा । - Binit Thakur 10 AUG 2021 AT 6:26 उदित सूर्यप्रकाशमय पृथ्वीजीवन रेखा । - फ़क़त “फरीदा” 11 JUN 2022 AT 19:09 अधर प्यासेतृष्णा करे है क्षुब्धप्यास तुम्हारी।...तृण सी देह,चित भी अवरुद्ध,आस तुम्हारी।...कर्म भरोसे,काल है मोसे क्रुद्ध,दास तुम्हारी।...है बंधी हुई,बैरी की कलम से,श्वांस ये म्हारी।...क्षितिज गूंजा,खग कलरव से,त्रास है भारी। - Khwahish Shah 20 JAN 2019 AT 20:31 क्यों तु उसेअपना माने दिलजो तेरा नहीँ वो दूर जाए तो घबराता दिल जो पास नहीँभरोसा है वोलौट आएगा दिलजो लौटा नहीँ - Prianca Singh 29 JUL 2017 AT 13:20 One pedal we cry,Other pedal we enjoy.A Real life cycle. - Binit Thakur 21 AUG 2021 AT 16:52 शुद्ध चेतनाअडिग हिमालयसुखदायक । - फ़क़त “फरीदा” 17 NOV 2021 AT 15:31 मोह न मोहे,न मोक्ष न तितीर्षा,सुप्त हैं भाव।जोड़े; न तोड़े,दरस न पिपासा,न बिखराव।रूठे; न माने,न शोक; न दिलासा,स्वयं है छाँव। - SREEPRIYA 14 MAR 2021 AT 11:10 Confined within walls,The once known world seems so strangeAnd my haiku cried. -