QUOTES ON #GODDESS

#goddess quotes

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10 AUG 2018 AT 10:59

Worship her like a goddess,
she will bless you like
no other god has ever had.

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6 FEB 2018 AT 14:34

I have heard
people are greedy
but the number
of cases of
female foeticide
told a different story.

It's ironical how people
kill those goddesses
who give them life.

Why not make good use
of the humans' foibles?

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4 JUN 2019 AT 17:59

I call her GODDESS
and ofcourse!, she looks like one.

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21 OCT 2020 AT 8:37

चार भुजाएं देवी स्वरूपणी
लिए भगवान स्कन्द बाल रूप में
विद्यावाहिनी दुर्गा देवी
प्रेम और वात्सल्य का रूप!!

माँ स्कंदमाता

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17 APR 2020 AT 23:33

ऐसा नहीं है की मैं अंधेरे से डरा ही नहीं
हकीकत तो ये है माँ ने मेरा साथ छोडा़ ही नहीं

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20 OCT 2020 AT 8:06

अत्यंत मुस्कराहट उदर से अंड
है हमारी माँ का स्वरुप
मिल रहा सभी दिशाओं को प्रकाश
है तेज की देवी आदि स्वरुप!!



माँ कूष्मांडा

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24 OCT 2020 AT 23:04

मेरे घर आयीं थी सब

चैत्र मास के बाद अश्विन मास में आयीं थी सब
और कहने लगीं कि रावण-दहन देखकर जायेंगी अब।
मैंने कहा- सदैव के लिये ठहर जाओ मेरे पास।
कहने लगीं- ठहरना तो केवल 9 ही रात्रि है, किन्तु
हम सब रावण-दहन देखकर ही जायेंगे अब
मैंने भी पलके झपका कर, हाँ में सिर हिला लिया।
सारी बहनें प्रांगण में बैठकर बातें करती अब।
कईं समय बाद मेरे घर आयीं थी सब।

देवी शैलपुत्री सदैव गाय के साथ समय व्यतीत करती।
देवी ब्रह्मचारिणी को जप माला प्रिय था।
देवी चंद्रघंटा भिन्न-भिन्न अस्त्रों से खेलती।
देवी कूष्मांडा को अंधकार में दीये जलाना प्रिय था।
देवी स्कंदमाता ज्ञान से भरपूर, अति व्यवहारिक थी।
देवी कात्यायनी की एकाग्रता अचंबित करती मुझे।
देवी कालरात्रि का क्रोध भयभीत करता, किन्तु
उनका तेज साहसी - निडर करता मुझे।
देवी महागौरी अति शांत रहती सदैव,
सफेद वस्त्र - सफेद आभूषण ही प्रिय था उन्हें।
देवी सिद्धिदात्री सहजता की मूरत थी,
सम्पूर्णता - सम्पन्नता का उदारहण थी।
हर देवी को, हर माँ को पूजकर मैं धन्य थी।

सारी बहनें नौ रात्रि मेरे घर में ठहरी।
विजय दशमी में रावण - दहन देखकर ही लौटी
ये कहकर कि चैत्र मास को आयेंगी अब
स्वप्न में ही सही किन्तु मेरे घर आयीं थी सब। (गीतिका चलाल)
@geetikachalal04

Happy Navratri..😇
Happy Vijay Dashmi..😇

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13 NOV 2020 AT 23:49

দুগ্গাপুজোর হলো ইতি, লক্ষীপুজোও হল,
অমাবস্যা ঘনিয়ে এল, শ্যামাপূজা এল।

যিনিই দুর্গা, তিনিই কালী, সকল নারীর প্রতিনিধি। শক্তিরূপেণ দেবী তিনি পাপের বিনাশিনী।

মুন্ডমালিনী, চন্ডালিনী, অসুরনাশিনী দেবী, স্বামীর বুকে পা রেখে তিনি হলেন লজ্জাবতী।

নিশিও কালো, কালীও কালো, তবুও তিনি দেবী, পুজো করে মর্তবাসী, মায়ের চরণ ধরি।

কালীরূপী অবাধ্য মেয়ে চায়না কেউ ঘরে, রূপে গুণে চায়না বধূ শ্যামার মতোন করে।

তবুও নারী বাধ্য হয় প্রতিবাদী হতে,
শয়তানদের মুখোশ খুলতে অস্ত্র তোলে হাতে।

Souradipa

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15 JAN 2022 AT 20:00

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23 OCT 2017 AT 22:31

{400th post}

"माँ तुम फिर नाराज़ हुई मुझपर
जब मैने कहा मैं अखबारों के पन्नों
में खबरें कभी खंगालती नही हूँ।
कैसे समझाऊं तुम्हें जो डर मुझे रोज़ जकड़ता है
उसे मैं इस कदर और पालती नहीं हूँ।"

-(क्रमशः)

-वैदेही

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