मैं प्रेम की बहती गंगा सी ,
तुम घाट बनारस बन जाओ ।
उस शोर भरे माहौल में भी ,
तुम सुकून के दो पल बन जाओ ।
मैं रामनगर के लस्सी सी,
तुम पान बनारस का बन जाओ ।
उस शोर भरे माहौल में भी ,
तुम सुकून के दो पल बन जाओ ।
मैं Kashi Cafe के चाय सी ,
तुम BBC की कॉफी बन जाओ ।
उस शोर भरे माहौल में भी ,
तुम सुकून के दो पल बन जाओ ।
मैं VT के शाम सी ,
तुम सुबह-ए-बनारस बन जाओ ।
उस शोर भरे माहौल में भी ,
तुम सुकून के दो पल बन जाओ ।
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